प्रेरणा
प्रेरणा. एक तरह से देखा जाये तो प्राचीन नाम माना जायेगा। या लोग एक पढ़ाकू लड़की की कल्पना करेंगे। मैं जब पहली बार उससे मिला तो उसके एक हाथ में डाइट पेप्सी और दुसरे मैं सिगरेट और कानों पे हैडफ़ोन लगे हुए थे. वो ऐसी विदेशी कम्पनी मे काम करती थी जहाँ दूरस्त मीटिंग्स मैं वीडियो पर आने का कोई प्रावधान नहीं था. मैं उसे उस सोशल मीडिया प्लेटफार्म की वजह से मिला जो व्यापारिक रिश्ते बनाने मैं मदद करता था. जब मैंने संपर्क साधने का अनुरोध भेजा, तो उसकी स्वीकृति मिलने मैं कुछ ज़्यादा समय नहीं व्यतीत हुआ. क्योंकि हम एक शहर मैं थे, उसने पूछा की क्या मैं उससे मिल सकता हूँ. मैंने वजह जाने बगैर कहा की हाँ हम मिल सकते हैं.
हम बैंगलोर के एक ऐसे रेस्त्रां मैं मिले जो को खुले आसमान के नीचे था. वो एक खूबसूरत साड़ी पहने थी और रंग आज भी याद है. वो एक हलके हरे और गहरे लाल का तालमेल था. और उससे मिलता हुआ चश्मा। उसने मुझे हल्का सा बगलगीर किया और फिर हम लोग बैठे. तभी मैंने आधी जाली सिगरेट देखी और एक डाइट पेप्सी की बोतल. उसने पुछा, “आप सिगरेट लेते हैं? कोई समस्या तो नहीं अगर मैं पियूं?”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे कोई भी समस्या नहीं”
उसने मुझे मुस्कुराते हुए देखा और फिर एक हल्का सा कश लगाया।
फिर प्रेरणा एक मीटिंग मैं व्यस्त हो गयी. उसने पहले से ही मुझे बताया था की उसकी एक मीटिंग भी हो सकती है.
मीटिंग की समाप्ति पर उसने मुझसे पुछा, “आप मुझसे मिलने को तैयार हो गए, बिना कुछ भी जाने हुए. वो क्यों?
मैंने उसको देखा और कहा, “मुझे लगा की कुछ ईमानदारी है तुम्हारे व्यक्तित्व में। तुम्हारे कुछ आर्टिकल पढ़े सोशल मीडिया पैर. तुम पॉलिटिकली करेक्ट नहीं हो. तुम अपनी वजह बताओ”
वो हंसी और बोली, “तुम विश्वास नहीं करोगे”
मैंने थोड़ा सतर्क होके कहा, “बताओ तो”
वो संजीदगी से बोली, “मैंने भी ऐसा ही सोचा था तुम्हारे बारे मैं. लेकिन एक बात और भी है. मेरी माँ कहती थी की कोई भी ऐसा इंसान हो जो अपने ओहदे से परे इंसानी सोच रखता हो, उसके साथ समय बिताना एक त्यौहार की तरह होता है”
मैंने हंस कर कहा, “तुम्हे विश्वास है की मैं इस तरह का आदमी हूँ”
वो बोली, “हूँ “ और फिर एक और कश लगाया
फिर उसने कहा, “आजकल ये होगया है की मन करता है किसी नुक्कड़ पे एक ठेले पे चाय पी जाये मगर पूरी दुनिया कैसे व्यस्तता के भंवर मैं फँस गयी है. मैं ऐसे लोगों की सोहबत चाहती हूँ की जो मेरे साथ बेझिजक बात कर पाएं किसी भी विषय पे और मुझे जज न करें. “
मैंने कहा, “मेरी भी कुछ ऐसी तमन्ना है”
फिर वो बोली, “समस्या ये है की एक लड़की, वो भी मेरे जैसी जो सिगरेट पीती है और ड्रिंक भी करती है, उसके लिए सिर्फ एक दोस्ती का प्रस्ताव कुछ मर्दों को शायद समझ न आ पाए. मैं अपनी बेबाकी के लिए क्षमा मांगती हूँ “ ये कहकर उसने बचा हुआ सिगरेट ऐशट्रे मैं झोंक दिया.
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “नुक्कड़ पे चाय पीना मुझे भी प्रिय है. और तुम्हे आपने दिल के विचार रखने के लिए क्षमा नहीं मांगनी चाहिए. अगर तुम्हारी मीटिंग का समापन हो चूका हो, तो कहीं चाय पीने के लिए चलें”
वो हंसी और बोली, “कभी सुना है की व्यवसाइक सोशल मीडिया साइट से लोग मिलके नुक्कड़ की चाय पीते हों”
मैंने कहा, “औरों का पता नहीं. इतने छोटे से जीवन मैं अगर कुछ पल ऐसे व्यतीत किये जाएँ जो की हमें अपने से मिलाने मैं मदद करें, ऐसे पलों को ख़ुशी से स्वीकार करना चाहिए”
प्रेरणा बोली, “ये हुई न बात!”