वेगन अर्थात पेड़ पौधों से हासिल भोजन और बीमारियों से बचाव

Sandeep Kulshrestha
5 min readApr 12, 2020

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सत्तर के दशक में जानवरों के अधिकारों की बातें करने वाली एक नई सोच ने थोड़ा बड़ा रूप इख्तियार किया। ये वो जनरेशन थी जिसको कुछ नया करना था और उनके अंदर एक सामाजिक चेतना और एक संवेदनशीलता थी जो कि पशुओं के खिलाफ हिंसा को सह नही पा रही थी। इन लोगों ने ऐसे खाद्य पदार्थ को स्वीकार करने से इनकार किया जिसमें कुछ भी ऐसा शामिल है जो कि किसी पशु से आया हो। जैसे कि दूध, मास और अंडे। ये एक कल्ट की तरह, सूक्ष्म आंदोलन बनने लगा जो कि एक धीमी रफ्तार से कुछ नए लोगो को भी आकर्षित करने लगा। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य लोगों को पशु हिंसा के बारे में जाग्रत करना था। कुछ समय पश्चात कुछ चिकित्सक भी इससे जुड़ने लगे। ये एक मील का पत्थर साबित हुआ। ये चिकित्सक वेगन आहार पे कुछ अनुसंधान करने में जुड़ गए।

चिकित्सक और वैज्ञानिक डॉक्टर डीन ओर्निश ने अपने अनुसंधान से ये पाया कि असल में सारी बीमारियों की जिम्मेदार हैं वे फैट की परतें जो की शरीर में जमा हो जाती हैं।

इनका स्रोत है पशुओं का मास, तरह तरह के तेल और दूध और दूध से बने अन्य उत्पाद जैसे कि पनीर, चीज़, घी इत्यादि। डीन ओर्निश ये भी कहते हैं कि वेगन भोजन के साथ इंसान को थोड़ा व्यायाम और ध्यान करने की भी ज़रूरत है। इस लेख के अंत में में कुछ लिंक्स का भी उल्लेख करूंगा। डीन के हिसाब से अगर वेगन पद्धिति का पालन किया जाए तो काफी बीमारियों से वचाव हो सकता है जैसे की मधुमेह, हृदय से संबंधित बीमारियां और कुछ तरह के कर्क रोग भी। इसी संदर्भ मैं अन्य चिकिसकों का भी योगदान है, जैसे कि डॉक्टर नील बर्नार्ड, डॉक्टर ग्रेगर इत्यादि। सभी इस निष्कर्ष पे पहुंचे हैं कि सब बीमारियों की जड़ फैट या चर्बी ही होती है। नील बर्नार्ड, डीन ओर्निश इत्यादि चिकित्सको ने बहुत लोगों की बीमारियों का सफल इलाज किया है और अब काफी लोगों को कोई भी दवा की ज़रूरत नही पड़ती। वेगन डाइट में ये क्षमता है कि आपकी सारी बीमारियों को जड़ से निकाल सके।

चर्बी या फैट को हम देखेंगे तो उसमें हर ग्राम में नौ कैलोरीज होती हैं, वहीं कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन मैं सिर्फ चार ही होती हैं। अगर लोग बिना तेल के वेगन भोजन का सेवन करें, तो वो जीवन भर अच्छी सेहत में रह सकते हैं। चर्बी आंतों में सूजन करके बहुत सारी बीमारियों की जड़ बन जाती है।

अब आया सवाल कैल्शियम का। कुछ लोग पूछते हैं कि दूध से कैल्शियम आता है। ये बात तो सही है लेकिन काफी सारे अनुसंधान से ये पता चला है कि इंसानी जिस्म को दूध के ज़रिए कैल्शियम स्वीकार करने मैं थोड़ी तकलीफ होती है। वैसे भी जो भी दुधारू जानवर हैं, क्या उनके बच्चे माँ का दूध पीने के बाद ज़िन्दगी भर किसी और जानवर का दूध पीते हैं? इसका जवाब है - बिल्कुल नहीं। हकीकत ये है कि मां के दूध के बाद किसी भी इंसान को किसी भी तरह के दूध की कोई ज़रूरत नहीं होती। जहां तक कैल्शियम का सवाल है, उसके काफी अच्छे स्रोत हैं। तिल में जो कैल्शियम है वो गाय के दूध से दस गुना है। वैसे कैल्शियम के और भी वेगन स्रोत हैं। मैंने कैल्शियम से संवंधित लिंक्स भी इस लेख के उपरांत दिए हैं। जहां तक प्रोटीन का सवाल है, दाल और छोलों में पर्याप्त प्रोटीन मिलता है।

इस सबका तात्पर्य ये है कि वेगन डाइट ही ऐसी डाइट पद्धिति है जो आपको आजीवन पूर्णतयः स्वस्थ रख सकती है। जो हिंदी का शब्द है, शाकाहारी वो शाखा शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है पेढ की शाखा। अगर आप शाकाहारी हैं, तो आप दूध और उससे बने पदार्थों के बारे में ज़रा गौर से सोचिये। क्या दूध शाकाहारी है? क्या वो किसी जानवर से नही निकला? क्या वो आपके लिए बना है या इस आस्तित्व ने उसका अधिकार उसके बछड़े को दिया है? वैसे भी गाय और भैंस को आपके लालच जे लिए कई बार गर्भवती (impregnate) किया जाता है और एंटीबायोटिक के इंजेक्शन दिए जाते हैं। ये दूध इंसान के लिए बना ही नहीं है। आपने देखा होगा कि छोटे बच्चे शुरू शुरू में गाय/भैंस के दूध की उल्टी कर देते हैं। इसकी वजह सिर्फ ये है कि ये उनको हजम नही होता। विकल्प है सोया, काजू, बादाम इत्यादि से बने हुए दूध। एक सर्वेक्षण के अनुसार, कम से कम 70 प्रतिशत लोग दूध और दूध से बने उत्पादों के प्रति असहिष्णु हैं और कई लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं।

दूध, मांस के अलावा आप सब कुछ खाकर भी स्वस्थ रह सकते हैं। बस शर्त ये है कि ये देखें कि आपकी चर्बी कहाँ से आ रही है। और तेल या तो बंद करें या बिल्कुल कम करें। जी भर के फल खाएं, सब्ज़ियों का सेवन करें और स्फूर्ति हासिल करें। आलू, शकरकंदी और फलों से डरे नहीं। आसान शब्दों में, अगर आप घी और तेल के बिना भोजन का सेवन करें और अच्छे कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन खाएं और साथ में कुछ वर्जिश करें तो आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी और आपका आपकी दवाइयों से पीछा हमेशा के लिए छूट सकता है। हां अगर आपको और भी समस्याएं हैं, उनके लिए हम नई स्ट्रेटेजी ईजाद कर सकते हैं।

शरुआत के लिए, आप एक एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं। पहले तो रिफाइंड तेल और घी को बंद करें। कोल्ड प्रेस्ड मूंगफली का तेल थोड़ा सा इस्तेमाल करें (जैसे आधा चम्मच से भी कम) और दूध और मास को बस एक हफ्ते के लिए छोड़ दें। आपको फर्क लगेगा।

ये लेख मेरे अपने अनुभव, वेगन न्यूट्रिशन में मेरी पढ़ाई और वास्तिविक तथ्यों पे आधारित है और सिर्फ जानकारी के लिए इस पन्ने पे दर्ज किया गया है। अगर आपको एक मुफ्त 15 मिनट की न्यूट्रिशन संबंधी सलाह लेनी है, तो मुझे ईमेल करें। इसके अलावा मैं एक न्यूट्रिशन और वैलनेस कोच हूँ और प्रोफेशनल फीस पे एक घंटे के skype कॉल पे उपलब्ध हूँ । मैं वजन कम करने और आगे बीमारियों से बचाव के संदर्भ में सलाह दे सकता हूँ।

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Written by Sandeep Kulshrestha

People, Strategy and Culture Consultant. Positive Psychologist. Leadership Coach. Poet. Political Commentator. Vegan

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